महादेव बाबा का भक्त फक्कड़ होता है, कभी अपने बारे में नहीं सोचता सिर्फ भगवान का होकर हो जाता है। बाबा केदारनाथ के चमत्कार की एक सत्य घटना! जो 6 महीने कपाट बंद होने के बावजूद केदारेश्वर नाथ के एक भक्त के लिए 6 महीने की रात, सिर्फ एक रात बन गई और उस रात के लिए स्वयं भगवान भूत भावन बाबा केदारेश्वर नाथ को धरती पर आना पड़ा और भक्त को सुलाना पड़ा, उसका ख्याल रखना पड़ा और भक्त को बाबा केदारनाथ के स्वयं भगवान केदारेश्वर नाथ को दर्शन करवाने पड़े।
जब केदारनाथ के कपाट बंद हो गए
जेब में एक पैसा नहीं, भक्ति इतनी कि उसकी कोई कमी नहीं और मिलन इतना अदभुत की उसकी कोई सीमा नहीं पर दूरी इतनी थी कि वह इतनी जल्दी पूरी हो नहीं रही थी पर भगवान से मिलन उसी का होता है, जो सच्चा होता है। एक ऐसा ही एक भक्त बाबा केदारनाथ के दर्शन करने के लिए 800 किलोमीटर की दूरी तय करके केदारनाथ धाम आता है और आने के पश्चात भगवान भूत भावन केदारनाथ धाम के कपाट बंद हो जाते हैं, मतलब जो इंसान 8 महीने की दूरी चल कर आया है, ना खाने को ना पीने को न रहने के लिए, सिर्फ बाबा केदारनाथ के दर्शन करने के लिए। पर जब धाम पर पहुंचता है तो उसे कपाट बंद होते हुए मिलते सोचिए उस वक्त पर उसके साथ क्या गुजरेगी, जिसे ऐसे दृश्य का सामना करना हो।
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भक्त की परीक्षा
भगवान ऐसे ही नही मिलते हैं और ना ही हर किसी को दर्शन देते हैं। जिसमें श्रद्धा, भक्ति, विश्वास, दृढ़, संकल्प और ढीठ पना हो! पर भगवान यूं ही हर किसी को नहीं चुनते ना ही हर भक्त को भगवान दर्शन देते हैं। भगवान भक्त की परीक्षा लेते है और उसे उस वक्त तक परीक्षा देनी होती है जब तक उसका मन भक्ति से भटके ना और उसे हर परीक्षा में पास होना पड़ता है। वरना मंदिर तो हर कोई जाता है, भगवान से मन्नत तो कोई भी मांगता है उसके बदले नारियल, पैसा, धन दौलत कई बातें होती हैं पूरी होने के बाद चढ़ावा देता है, दान देता वो सब करता है जिससे भगवान को लुभा सके। पर भक्त सच्चा कौन है उसे कैसे जाने तो भगवान इंसानों के जैसे कार्य तो नहीं कर सकते पर भगवान एक सच्चे भक्त की परीक्षा अवश्य लेते हैं। और उसका परिणाम उत्कृष्ट होता है, ऐसा ही एक भक्त बाबा केदारनाथ के दर्शन करने आते हैं जब कपाट बंद हो जाते हैं उसके पश्चात अब उसके पास कोई विकल्प नहीं होता। क्योंकि वह निर्धन होता है, सिर्फ भगवान का धनी इंसान होता है। जिसके पास भगवान की सच्ची भक्ति होती है, परमात्मा का विश्वास होता है, अब बारी थी उसकी आखिरी परीक्षा की उसमें पास होना या फेल हो जाना, इस वक्त की आखिरी निशानी होती है जब कपाट बंद हो गए फिर उसके बाद भगवान भूत भावन केदारेश्वर नाथ ने परीक्षा लेनी शुरू कर दी, की मेरा भक्त मेरा है या सिर्फ भक्त है जो इतनी ढंड मैं इस परीक्षा को पास कर पाएगा?
महादेव बाबा ने साधु का रूप धारण किया
भगवान भूत भावन केदारनाथ धाम पर हर छ माह में कपाट खुलते और छ माह के लिए कपाट बंद हो जाते हैं। पर एक भक्त 8 महीने की दूरी तय करने के बाद धाम पर आता है और उसे उस स्थिति का सामना करना पड़ता है जिसके बारे में उसने सोचा नहीं था? जैसे ही केदारनाथ धाम पर पहुंचता है वह कपाट बंद होने लगते हैं, भक्त महाराज जी से पूछते है कि क्या हो रहा है? तो उन्होंने बताया कि कपाट बंद हो रहे अब 6 महीने के बाद ही खुलेंगे। तो भक्त, महाराज जी से कहते हैं वहां के पंडितों से कि मुझे दर्शन करना है! विश्वनाथ के दर्शन करा दीजिए.. तो पंडित जी बोलते अब तो कपाट बंद हो गए शाम का समय हो रहा है, अब यहां नियम है अब तो 6 महीने बाद ही खुलेंगे। तो भक्त परेशान होने लगता है कि अब मैं कैसे दर्शन करूंगा? मैं कैसे एक झलक देखूंगा उतने में ही धाम के पंडित जी कहते हैं कि अब वापस चले जाओ 6 महीने के बाद आना फिर आपके दर्शन हो जाएंगे। पर वह भक्त वहा से जाने का मना करता हैं लेकिन पंडित जी कहते कि यहां ठंड बहुत होती है आप ठंड से अकड़ जाओगे, जम जाओगे घर वापस चले जाओ पर एक भक्त कैसे बगैर दर्शन किए वापस चले जाए और वह भक्त निर्णय लेता है मंदिर के सामने चौखट पर ही रुकने का ढहरने विचार करता है। बस भगवान भरोसे चौखट पर ही लेट जाता है अब विषय भगवान पर था कि उसका भक्त उसकी शरण में था, उसका ख्याल भगवान को रखना था। भक्त को पहली रात को बहुत ठंड लगी, भूख भी लगी थी जैसे तैसे वह रात तो कट गई पर जब वह सुबह उठा तो उसके पास ना खाने के लिए भोजन था ना बचने के लिए ठंड से कोई दूसरा रास्ता था। पर कहते हैं भगवान एक हद तक की परीक्षा ले पाते है क्योंकि उनका भी दिल पिघल जाता है, डगमगाने लग जाता है, घबराने लगता है तो भगवान भूत भावन विश्वनाथ ने अपनी लीला करी एक साधु फक्कड़ का रूप धारण किया और सुबह-सुबह उसके भक्त के पास पहुंचते हैं और कहते कौन हो तुम, क्या कर रहे हो यहां पर इतनी ठंड में, तो भक्त अपनी पूरी कहानी बताते.. पर भगवान तो भगवान है और भगवान को समझ आ गया तो भगवान जी कहते हैं अच्छा ठीक है आपको दर्शन करना पर कपाट तो 6 महीने के बाद खुलेंगे इसलिए एक काम करो, मेरी झोपड़ियां है यहां आ जाओ कुछ खा लो और यहीं पर विराम कर लेना, विश्राम कर लेना ताकि जब कपाट खुले तो फिर आप भगवान केदारनाथ जी के दर्शन कर लेना। और या उस भक्त के लिए तो यह अच्छा विकल्प था, तो वह आ जाते हैं साधु फक्कड़ जी के साथ लेकिन पंडित जी स्वयं भगवान थे उन्हें नहीं पता था। तो झोपड़िया में जाकर खाना खाते हैं और भगवान स्वयं अपने भक्त के लिए बिस्तर लगा देते और कहते हैं आप इस पर विश्राम कर लो और आराम से सो जाओ क्योंकि आप बहुत दूर से पैदल चल कर आए हो थक गए होंगे, भूख भी लगी है और अब आपको आराम करने की आवश्यकता है। और भक्त आराम करने लग जाता है सो जाता है।
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जब भक्त अगली सुबह उठता है, और उठ कर देखता है कि बाबा केदारनाथ के कपाट खुल रहे थे वह यह देखकर चौंक जाता है और खुशी से उछल पड़ता है की पंडित जी तो कह रहे थे की 6 माह के बाद कपाट खुलेंगे। और यह तो दूसरी सुबह ही खुलने लगे। यह दृश्य भक्त के लिए चांदी ही चांदी जैसा था। तो वह भक्त पंडित जी के पास दौड़े दौड़े आते हैं और कहते है.. क्यों पंडित जी आप तो बोल रहे थे कि की यह कपाट 6 महीने बाद खुलेंगे और आपने दूसरे ही दिन खोल दिए। तो पंडित जी बोले कौन हो तुम? भक्त कहते है, आपको याद नहीं मैं आपको परसों ही तो मिला था और आपने कहा था कि घर जाओ 6 महीने के बाद आना। तो पंडित जी को अचानक से ध्यान आता और समझ जाते की यह तो वही शख्स है और 6 महीने के बाद उसे लग रहा है कि अगली सुबह कैसे हो गई। तो उनके रोंगटे खड़े हो जाते है और उन्हें विश्वास हो गया कि बाबा केदारनाथ ने अपना चमत्कार दिखा दिया। अपनी लीला दिखा दी और इस शख्स की एक रात 6 माह के बना दी और जैसे उन्हें पता चला कि भगवान ने अपनी लीला कर दी। फिर महाराज जी ने उस भक्त को अपने हृदय से लगा लिया और सबसे पहले भगवान भूत भावन बाबा केदारनाथ के दर्शन कराए और उस भक्त ने बाबा केदारनाथ से लिपटकर रोने लगा। ऐसे ही भगवान भक्त की परीक्षा लेते हैं और उन्हें दर्शन देते हैं, यह घटना सत्य भगवान भूत भावन बाबा केदारेश्वर नाथ के चमत्कार की सच्ची घटना है। और इस भक्त भगवान के मिलन को बागेश्वर धाम सरकार ने कथा के दौरान बताया है। की भगवान होते हैं और वह किस रूप में दर्शन देते हैं यह किसी को नहीं पता होता।
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