पृथ्वी को समाप्त करने वाला एस्टेरॉयड की पांच वह असली तस्वीरें जिसे मानव जीवन ने खुद अपने एंड्रॉयड फोन से रिकॉर्ड किया, जिसे अपनी आंखों से देखा कि कैसे एस्टेरॉयड धरती पर गिरने वाला था। और कैसे धरती के इर्द गिर्द से जाते हुए देखा? जिसे अलग-अलग लोकेशन पर अपने फोन से लाइव रिकॉर्ड किया। उसकी कुछ ताजा तस्वीर हम आज आपके सामने लाइव प्रूफ के साथ साझा कर रहे। दुनिया में कई बार भविष्यवाणी हुई कि इस बार तो दुनिया सही में समाप्त हो जाएगी। और वह कैसे तो हर बार एक महा ज्ञानी वैज्ञानिक या फिर तर्क विरोधी इंसान ने अपनी भविष्यवाणी दी थी की 2012 में और अभी वर्तमान मैं 15, 16 सितंबर को या फिर अलग-अलग तारीखों पर दुनिया समाप्त हो जाएगी। पर यह बातें कुछ हद तक खंडन करने वाली होती है। पर भगवान भी होते अगर उस पर आपको विश्वास नहीं है तो आपको इस कथा को सुनना चाहिए क्योंकि जब ऐसा नहीं हुआ तो उनकी भविष्यवाणी गलत साबित हो जाती है, पर बात हो रही है 15 सितंबर और 16 सितंबर की दिन और रात की, जब नासा के वैज्ञानिकों ने यह दावा किया और वह सच भी साबित हुआ। कि कैसे एक उल्का पिंड पृथ्वी से अगर टकराया तो पूरी दुनिया खत्म हो जाएगी। मतलब इंसानी जीवन का नामोनिशान मिट जाएगा, जैसे कई हजारों वर्ष पहले डायनासोर का मिट गया था।
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डायनासोर कैसे खत्म हुआ
सबको पता है कि दुनिया का सबसे बड़ा जानवर डायनासोर, अगर वह आज भी धरती पर मौजूद होता तो इंसानी जीवन का जी पाना या रह पाना संभव नहीं होता। क्योंकि इतना बड़ा जानवर तो एक ही निवाले मैं सैकड़ो इंसानों को अपना चारा बना लेता। फिर इंसान अपना जीवन, स्वतंत्र रूप से क्या,कही छिपकर भी बीता नहीं पा सकता। और जानवर तो थे? पर वह जानवर भी नहीं बचते जब डायनासोर होता। सब का एक समय होता है, सब की स्थिति होती है, कब जन्म लेना है, और कब पैदा होना है कब खत्म होना है कितने समय तक जीवन बिताना है। यह सारी नियति के विधान पर निर्भर करता है और ऐसे ही डायनासोर के जीवन के साथ भी हुआ। जबआसमान से एक उल्का पिंड धरती पर आता हूं इतना बड़ा था? की उसकी रफ्तार इतनी तेज कि जब वह धरती पर गिरा और कहानी कुछ ऐसी हुई कि डायनासोर तब चारा चर रहा था। यानी कि वह भोजन करने के लिए बाहर निकले हुए थे, घूम रहे थे, टहल रहे थे तब आसमान से Asteroid उल्का पिंड आता है धरती पर जोर से टकरा जाता हैं उसकी टक्कर इतनी भायावक होती है कि पूरे डायनासोर का जीवन ही खत्म कर देता है और ऐसे डायनासोर की समाप्ति होती है। एस्टेरॉयड मतलब एक उल्का पिंड जो आसमान से गिरता है और जमीन पर पड़ता है वह भी धरती पर जहां पर इंसानी जीवन फिर सोचो उसका हाल भी कुछ ऐसा ही हो सकता है, जैसा डायनासोर का हुआ।
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Asteroid दुनिया में सबको पता था कि आसमान से एक उल्का पिंड गिरने वाला है जिसका नाम था एस्टेरॉयड 2024 R1 हालांकि इंस्टाग्राम पर एक वेदर इंडिया नाम से एक पेज है। जहां पर इस वीडियो को साझा किया है जैसा कि ऊपर आपके लिए मेंशन किया गया। पर यह वीडियो तारीख 5 सितंबर को ही इंस्टाग्राम सोशल अकाउंट पर पब्लिश्ड था। अब वैज्ञानिकों को सही माने या फिर नासा की जानकारी के अनुसार तो वैसे 15 या 16 सितंबर को ये उल्का पिंड गिरने वाला था, पर इस वीडियो में दिखाया जा रहा है और जब हमने इसकी डिटेल देगी तो इस डिटेल में यह पोस्ट अपलोड थी 5 सितंबर को जिस पर लिखा गया था। एस्टेरॉयड 2024 R1 इस वीडियो को देखने के बाद हमने आपके साथ पूरी सटीक जानकारी के साथ ऊपर इंस्टाग्राम पेज इनका मेंशन किया है। और इसमें साफ दिखाई दे रहा है कि कैसे आसमान से एक उल्का पिंड गिरता है, जिसे एस्टेरॉयड नाम दिया गया। जो की ये एक तारे की तरह होता है इतना चमकदार होता है कि जब वह गिरता है तो मानो ऊपर से बहुत बड़ा चमकीला तारा नीचे गिर रहा हो ऐसा देखने में लगता है। पर यह दृश्य एक या दो सेकंड के लिए जो Asteroid जोर से चमका और वह जमीन पर आकर बदाक से गिर गया और उसके बाद पूरा अंधेरा हो जाता है। हालांकि यह रिकॉर्ड एक मोबाइल से हुआ है और वह व्यक्ति किस्मत वाला है, जिन्होंने एस्टेरॉयड 2024 R1 को रिकॉर्ड किया। ऐसे ही कुछ और फुटेज है जिसके हमने नीचे स्क्रीनशॉट आपके साथ साझा किए।

एस्टेरॉइड की दूसरी तस्वीर
हॉलीवुड की आपने कई मूवीज देखी होगी जिसमें आसमान से जब कुछ गिरता है और धरती पर तबाही का मंजर होने वाला होता है तब मानो किसी ने धरती पर आग के गोले बरसाए हो कुछ अंगारे हो जो जमीन पर गिर रही हो और घट रही हो और तेजी से जिनका पीछे धुआं छोड़ते हुए जमीन की ओर बढ़ रही हो। जिससे धरती कांपने वाली हो, ऐसा ही इस मंजर को देखने को मिला। जो कि वैज्ञानिकों का मानना था कि आसमान से एक उल्का पिंड गिरने वाला है धरती पर। जिससे दुनिया तबाह हो जाएगी हमेशा के लिए, खत्म हो जाएगी जैसे डायनासोर का खात्मा हुआ था। ऐसे ही उल्कापिंड को गिरते हुए मानव निर्मित मोबाइल से रिकॉर्ड किया गया, जिसमें साफ देखा जा सकता है कि कैसे आसमान को चीरते हुए ये एस्टेरॉयड धरती के बगल से गिरता हुआ जा रहा था। जिसमें सैकड़ो की तादात में आग के धड़कते हुए गोले जैसे मंजर देखने को मिल रहे हैं। हालांकि यह एक Asteroid पत्थर है उसकी रफ्तार इतनी तेज है कि वह लाल चट्टानों की तरह आग में धड़कते हुए, अंगारे फेंकते हुए नजर आ रहा है। हालांकि यह मंजर रात का है इसलिए कुछ नजारे भयावक है और हो भी क्यों ना अगर गलती से यह धरती पर टकरा जाता है या धरती में प्रवेश कर जाता तो फिर सोचिए उस रात या उस दिन क्या होता।

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वैज्ञानिकों का दावा सही साबित हुआ
हर बार विज्ञान गलत हो या हर बार विज्ञान सही हो। यह मानव जीवन के लिए थोड़ा सा असंभव होता है सोच पाना और मान पाना पर जब इस तस्वीर को हमने देखा कि कैसे एक एस्टेरॉयड धरती पर गिर रहा था और कैमरे में रिकॉर्ड हुआ एक चमकता हुआ आसमान से गिरता हुआ तारा पर यह कोई तारा नहीं ये एक एस्टेरॉयड था। जिसे अलग-अलग लोकेशन पर रैंडम रिकॉर्ड किया गया। सिर्फ कुछ लोगों को पता था कि आसमान से कुछ गिरने वाला है पर वह क्या गिरने वाला है यह जानकारी नहीं थी और थी भी तो किसी को इस पर विश्वास नहीं था। पर जब रैंडम यहां पर रिकॉर्ड किया गया, तब जाकर मानव जीवन ने माना कि सच में अगर यह Asteroid गलती से पृथ्वी पर टकरा जाता तो आज हम इस दुनिया में नहीं होते। और यह 99.99999% तक सत्य था।

दुनिया खत्म करने की ओर बढ़ता एस्टेरॉयड
दिन में जब एयरोप्लेन या फिर कोई रॉकेट उड़ान भरता है तो जब अपनी गति से आगे की ओर भागता है तो उसके पीछे एक अपनी निशानी छोड़ते हुए जाता है एक धुआं या यूं कहे लाल प्रकार की रेखा जिसे हम दिन में भी और रात में भी देख सकते हैं। पर ये एस्टेरॉयड ऐसे ही प्रतीत होता है कि एक एरोप्लेन या रॉकेट जा रहा है। पर जब हमने इस Asteroid तस्वीर को देखा और इस तस्वीर को देखने के बाद समझे कि एक आसमान से एस्टेरॉयड गिरने वाला था और वह एस्टेरॉयड यह था। ना की कोई एयरोप्लेन या फिर रॉकेट और इसमें कोई अलग तस्वीर नहीं है ना ही कोई अलग से रिकॉर्ड की गई या फिर एनीमेशन के जरिए बनाई गई या फिर वीएफएक्स की मदद ली गई ये रैंडम रिकॉर्ड की गई एक मोबाइल द्वारा जिसमें साफ देखा जा सकता है कि कैसे एस्टेरॉयड धरती के बगल से गुजरते हुए निकल रहा है।

तबाही का मंजर कुछ ऐसा ही होगा
आपने देखा होगा कि जब युद्ध होता है और युद्ध में मिसाइल छोड़ी जाती है दागी जाती है उसके बाद जब मिसाइल अपनी लोकेशन पर पहुंचती है तो कुछ आग बबूला हुए इस प्रकार दिखती है। इस वीडियो में साफ देखा जा सकता है कि कैसे बड़ी-बड़ी बिल्डिंगों के पीछे से एस्टेरॉयड गुजरते नजर आ रहा है। लाल है आग सा धड़कता हुआ है, मानो Asteroid, यह कोई उल्का पिंड नहीं एक स्वयं आग का बबूला है जो धरती के और गुस्से में गिर रहा है। पर ऐसा है नहीं यह धरती से लाखों किलोमीटर की दूरी पर अपनी तय सीमा से गुजर रहा है। मतलब धरती के जस्ट बगल से अगर इसे कहा जाए तो अगर गलती से इसकी दिशा इधर-उधर घूमती या फिर इसका मन होता, कि यह धरती पर गिर जाए, टकरा जाए या फिर इंसानों को मजाक करते हुए छूते हुए है हाय बोलते हुए निकल जाए तो फिर मानव जीवन का क्या होता? हालांकि किस्मत की बात है कि यह Asteroid अपनी गति सीमा के अनुसार सही जगह से निकल गया वरना सच में नासा के वैज्ञानिक को द्वारा कहीं बात आज सही साबित हो जाती। की इस एस्टेरॉयड से दुनिया तबाह हो जाती जैसे डायनासोर का नामोनिशान नहीं रहा। वैसे आज के बाद इंसानों का भी पृथ्वी के जीवन पर समाप्ति का नाम और निशान नहीं होता।
धरती की समाप्ति
मानव जीवन जितना अच्छा है उसके लिए खत्म होना उतना ही कठिन है। क्योंकि जन्म लेता है उसे पता नहीं कि वह कहां जन्म ले रहा है पर जैसे समझदार होता है उसे पता है कि जीवन कितना रंगीन है। सुहाना है कितना अच्छा है यहां पर वह सारी चीज है जिससे वह जी सकता है। क्योंकि उसके पास दिमाग है बुद्धि है यह समझ है और इसी बुद्धि पर नासो के वैज्ञानिकों ने कहा था कि आज के दिन Asteroid उल्का पिंड गिरेगा और उससे दुनिया खत्म हो जाएंगी। हालांकि 99.999% ये बात सही साबित हुई। पर उससे बच गए। क्योंकि जब ऐसे दृश्य देखने को मिलते हैं जो सिर्फ आपने एस्टेरॉयड काल्पनिक थ्योरी पर सुना होंगा? क्योंकि जब तक इंसान अपनी आंखो से देखता नहीं है तब तक वह मानता नहीं है। और एक कहावत है बुजुर्गों की! कि जिस पर बितती नहीं, उसे कड़ती नहीं।
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